Flash Story
निकाय चुनाव की तिथि का किया ऐलान, जानिए कब होगी वोटिंग
निकाय चुनाव की तिथि का किया ऐलान, जानिए कब होगी वोटिंग
नगर निगम, पालिका व पंचायत के आरक्षण की फाइनल सूची जारी
नगर निगम, पालिका व पंचायत के आरक्षण की फाइनल सूची जारी
चकराता में हुई सीजन की दूसरी बर्फबारी, पर्यटक स्थलों पर उमड़े लोग, व्यवसायियों के खिले चेहरे 
चकराता में हुई सीजन की दूसरी बर्फबारी, पर्यटक स्थलों पर उमड़े लोग, व्यवसायियों के खिले चेहरे 
 कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल के 38वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में किया प्रतिभाग
 कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल के 38वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में किया प्रतिभाग
तमन्ना भाटिया के प्रशंसकों को मिला तोहफा, ‘ओडेला 2’ का नया पोस्टर जारी
तमन्ना भाटिया के प्रशंसकों को मिला तोहफा, ‘ओडेला 2’ का नया पोस्टर जारी
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रोजगार मेला’ के तहत 71,000 युवाओं को सौंपे नियुक्ति पत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रोजगार मेला’ के तहत 71,000 युवाओं को सौंपे नियुक्ति पत्र
सर्दियों में भूलकर भी बंद न करें फ्रिज, वरना हो सकता है भारी नुकसान, ऐसे करें इस्तेमाल
सर्दियों में भूलकर भी बंद न करें फ्रिज, वरना हो सकता है भारी नुकसान, ऐसे करें इस्तेमाल
कुवैत ने पीएम मोदी को अपने सबसे बड़े सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ से किया सम्मानित 
कुवैत ने पीएम मोदी को अपने सबसे बड़े सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ से किया सम्मानित 
मुख्यमंत्री धामी ने 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का किया लोकर्पण और शिलान्यास
मुख्यमंत्री धामी ने 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का किया लोकर्पण और शिलान्यास

भारत में टैक्स, जैसे सीरिंज लगा कर खून निकालना

भारत में टैक्स, जैसे सीरिंज लगा कर खून निकालना

हरिशंकर व्यास
दुनिया के सभ्य, विकसित और लोकतांत्रिक देशों ने अपने नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा का कवच उपलब्ध कराया है। उन्हें मुफ्त में अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिलती है। उनके लिए रोजगार की व्यवस्था की जाती है और रोजगार खत्म होते ही तत्काल भत्ता मिलता है। सरकार उनके लिए सम्मान से जीने की स्थितियां मुहैया कराती हैं। इसके उलट भारत में नागरिकों को मुफ्त की रेवड़ी, खैरांत बांटते है। वह भी किसी नियम या कानून के तहत नहीं, बल्कि पार्टियों और सरकारों की चुनावी योजना के तहत। यह इतना तदर्थ होता है कि चुनाव में नेता प्रचार करते हैं कि, देखो वह तो मुफ्ती की रेवड़ी दे रहा है लेकिन अगर दूसरी पार्टी आ गई तो वह इसे बंद कर देगी। सोचें, क्या दुनिया के किसी दूसरे देश में नागरिकों के साथ ऐसा हो सकता है?

ऐसा नहीं है कि सामाजिक सुरक्षा देने वाले देशों की तरह भारत ने टैक्स की व्यवस्था नहीं की है। भारत में टैक्स ऐसे लिया जाता है, जैसे सीरिंज लगा कर खून निकाला जाता है। प्रत्यक्ष कर यानी आयकर भरने वालों की संख्या तो दो चार प्रतिशत ही है लेकिन 140 करोड़ लोगों से अप्रत्यक्ष कर यानी जीएसटी, उत्पाद शुल्क, पेट्रोलियम उत्पादों पर शुल्क, टोल टैक्स आदि वसूले जाते हैं। इसमें सरकार समभाव रखती है। देश के सबसे अमीर आदमी से भी उतना ही टैक्स लेती है, जितना सबसे गरीब आदमी से। इसके बावजूद भारत में चल रही मुफ्त की रेवड़ी की व्यवस्था बिल्कुल वैसे ही है जैसे रक्तदान के समय तीन सौ मिलीलीटर खून निकाला जाता है और रक्तदान करने वाले को जूस का एक टेट्रा पैक पकड़ा दिया जाता है। सरकार मनमाने तरीके से टैक्स से पैसे वसूलती है और मुफ्त की रेवड़ी के रूप में जूस का एक टेट्रा पैक पकड़ा देती है। नीति बना कर नागरिकों को सम्मान के साथ जीने के लिए सामाजिक सुरक्षा के कानून नहीं बनते हैं।

यहां मुफ्त की रेवड़ी का चलन है, जो हर चुनाव के साथ बढ़ता जा रहा है। अभी मिसाल के तौर पर महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव को ही देखें तो हैरानी होगी कि कैसे चुनावी लाभ के लिए इतना कुछ मुफ्त में देने की घोषणा की जा सकती है? हर पार्टी समान रूप से इस काम में शामिल है। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि के नाम पर किसानों के खाते में हर साल छह हजार रुपए यानी पांच सौ रुपया महीना डालने का ऐलान किया। यह योजना आज तक चल रही है। सोचें, किसानों की आमदनी बढ़ाने, उनकी फसलों की कानूनी कीमत तय करने, कृषि लागत कम करने जैसे नीतिगत उपायों की बजाय सरकार ने पांच पांच सौ रुपए देने का फैसला किया।

इसी तरह कोरोना के समय पांच किलो मुफ्त अनाज देने की जो योजना शुरू हुई उसको सीधे 2029 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। पिछले साल के अंत में छत्तीसगढ़ में चल रहे विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैली में इसकी घोषणा की। सोचें, इतनी बड़ी नीतिगत घोषणा चुनावी रैलियों में होती है! बाद में सरकारी अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी और पिछले दिनों सरकार की ओर से इसकी औपचारिक मंजूरी दी गई। इसी तरह पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने हर महीने आठ हजार रुपए लोगों के खाते में खटाखटा डालने का वादा किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top