Flash Story
ग्रामीण क्षेत्र में 7000 आंगनबाड़ी और सहायिकाओं की नियुक्ति होगी जल्द- रेखा आर्या
ग्रामीण क्षेत्र में 7000 आंगनबाड़ी और सहायिकाओं की नियुक्ति होगी जल्द- रेखा आर्या
बाणगंगा तट पर सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चलाया स्वच्छता अभियान, जनता को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
बाणगंगा तट पर सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चलाया स्वच्छता अभियान, जनता को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
आईपीएल 2025– राजस्थान रॉयल्स और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला आज
आईपीएल 2025– राजस्थान रॉयल्स और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला आज
कल खुलेंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट, 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर परिसर
कल खुलेंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट, 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर परिसर
कहीं आप भी तो नहीं करते खाना खाने के बाद यह गलतियां, अगर हां, तो जान लीजिये इसके दुस्प्रभाव 
कहीं आप भी तो नहीं करते खाना खाने के बाद यह गलतियां, अगर हां, तो जान लीजिये इसके दुस्प्रभाव 
जातीय जनगणना से सामाजिक समरसता को मिलेगा बल- डॉ. नरेश बंसल
जातीय जनगणना से सामाजिक समरसता को मिलेगा बल- डॉ. नरेश बंसल
उत्तराखंड में फिर करवट लेगा मौसम, ओलावृष्टि और आंधी की आशंका
उत्तराखंड में फिर करवट लेगा मौसम, ओलावृष्टि और आंधी की आशंका
सभी विभागों में जल्द लागू होगा ई-ऑफिस, Digital Uttarakhand Portal से होगी रियल टाइम मॉनिटरिंग
सभी विभागों में जल्द लागू होगा ई-ऑफिस, Digital Uttarakhand Portal से होगी रियल टाइम मॉनिटरिंग
डिफेंस प्रोडक्शन हब बनेगा उत्तराखंड- सीएम धामी
डिफेंस प्रोडक्शन हब बनेगा उत्तराखंड- सीएम धामी
ग्रामीण क्षेत्र में 7000 आंगनबाड़ी और सहायिकाओं की नियुक्ति होगी जल्द- रेखा आर्या
ग्रामीण क्षेत्र में 7000 आंगनबाड़ी और सहायिकाओं की नियुक्ति होगी जल्द- रेखा आर्या
बाणगंगा तट पर सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चलाया स्वच्छता अभियान, जनता को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
बाणगंगा तट पर सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चलाया स्वच्छता अभियान, जनता को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
आईपीएल 2025– राजस्थान रॉयल्स और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला आज
आईपीएल 2025– राजस्थान रॉयल्स और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला आज
कल खुलेंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट, 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर परिसर
कल खुलेंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट, 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर परिसर
कहीं आप भी तो नहीं करते खाना खाने के बाद यह गलतियां, अगर हां, तो जान लीजिये इसके दुस्प्रभाव 
कहीं आप भी तो नहीं करते खाना खाने के बाद यह गलतियां, अगर हां, तो जान लीजिये इसके दुस्प्रभाव 
जातीय जनगणना से सामाजिक समरसता को मिलेगा बल- डॉ. नरेश बंसल
जातीय जनगणना से सामाजिक समरसता को मिलेगा बल- डॉ. नरेश बंसल
उत्तराखंड में फिर करवट लेगा मौसम, ओलावृष्टि और आंधी की आशंका
उत्तराखंड में फिर करवट लेगा मौसम, ओलावृष्टि और आंधी की आशंका
सभी विभागों में जल्द लागू होगा ई-ऑफिस, Digital Uttarakhand Portal से होगी रियल टाइम मॉनिटरिंग
सभी विभागों में जल्द लागू होगा ई-ऑफिस, Digital Uttarakhand Portal से होगी रियल टाइम मॉनिटरिंग
डिफेंस प्रोडक्शन हब बनेगा उत्तराखंड- सीएम धामी
डिफेंस प्रोडक्शन हब बनेगा उत्तराखंड- सीएम धामी

लोकतंत्र के लिए अहम

लोकतंत्र के लिए अहम

इलेक्ट्रॉल बॉन्ड योजना शुरू से विवादास्पद थी। जो अनुभव रहा, उससे इसके खिलाफ आरंभ ही कही गई बातें लगातार ठोस साबित होती गईं। इनके बीच यह तर्क महत्त्वपूर्ण था कि असीमित और गुप्त राजनीतिक चंदा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के तकाजे के खिलाफ है।

इलेक्ट्रॉल बॉन्ड योजना को रद्द कर सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में बड़ा योगदान किया है। यह योजना शुरू से विवादास्पद थी। जो अनुभव रहा, उससे इसके खिलाफ आरंभ ही कही गई बातें लगातार ठोस साबित होती गईं। इनके बीच दो तर्क महत्त्वपूर्ण थे- पहला यह कि असीमित और गुप्त राजनीतिक चंदा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के तकाजे के खिलाफ है।

दूसरी दलील यह थी कि इलेक्ट्रॉल बॉन्ड योजना में शामिल प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत मिले सूचना के अधिकार का उल्लंघन हैं। इन दोनों ही तर्कों को अब सुप्रीम कोर्ट ने वाजिब ठहराया है। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि गुप्त चंदे का प्रावधान सूचना के अधिकार के खिलाफ है। इस प्रावधान के तहत एक और आपत्तिजनक बात यह रही है कि चंदा देने वाली कंपनियों की पहचान आम जन से तो छिपी रहती है, लेकिन सरकार को यह सब मालूम रहता है कि कौन किसको कितना चंदा दे रहा है। इससे इस आरोप को बल मिला कि कंपनियों के लिए विपक्षी दलों को चंदा देना जोखिम भरा हो गया है।

तमाम उपलब्ध आंकड़ों से इस बात की लगातार पुष्टि हुई है कि इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स के तहत दिए गए चंदे का अधिकांश हिस्सा सत्ताधारी दल को गया है। कोर्ट ने उचित ही यह कहा कि राजनीति चंदे के जरिए दाताओं की सत्ता के हलकों तक पहुंच बनती है। इस पहुंच से नीति निर्माण के प्रभावित होने का अंदेशा पैदा हो जाता है। सार्वजनिक दायरे में ये धारणा भी गहराई है कि वर्तमान सरकार और कुछ कॉरपोरेट घरानों के बीच ऐसे अंत:संबंध बन गए हैं, जिनसे देश की महत्त्वपूर्ण नीतियां प्रभावित हो रही हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का इस योजना को संचालित करने वाले भारतीय स्टेट बैंक को दिया गया यह आदेश अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि वह इस योजना के तहत पार्टियों को मिले चंदे की पूरी जानकारी निर्वाचन आयोग को दे। आयोग को उसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करना होगा। इस तरह अब उम्मीद है कि इस योजना का पूरा सच सामने आ जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top